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कलम के दलाल

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आज कलम का भक्त, देश भक्ति गा रहा है,
कागज और कलम से देश भक्ति बता रहा है ।
सेकुलर मीढिया की पोल खोल रहा हूँ,
बरखा और रविश के कारनामे बोल रहा हूँ ।
चौथा स्प्तम्भ खोखला खड़ा हो गया है,
खरिदार के इंतजार मै, बाज़ार मे नाच रहा है ।
देश को काला कर के, ऐश उड़ाते हो,
सुरा सुंदरियौ के मयखानौ से संनसनी फैलाते हो ।
मवाली शाहरुख‌ ‌आमिर को बाद्शाह बताते हो,
और गउ हत्या को मानव अधिकार बताते हो ।
इंद्रानी के पतियौ और जे एन यू की गालियौ पर,
दिन रात राश्ट्रिय गान बनाते हो,
पर सियाचीन के ताबूतौ पर दॉत: दिखाते हो ।
सेना के बलिदानौ का उपहास उढाते हो,
इशरत के अधिकारॉ पर ऑसू बहाते हो।
हिंदु की मौत को सेकुलरिस्म बताते हो,
पर मुसलमान की मौत पर दंगा भड़:काते हो।
सामाजिक न्याय एवम सेकुलरिस्म के नाम पर,
देश एवेम समाज को तोड़ रहे हो,
ओवेसी और खालिद को जननायक बना रहे हो ।
अखलाक और रोहित पर घृढ़ा बखरते हो,
गोध्ररा माल्दा पर जाम लगते हो ।
प्रग्या पुरोहित को आतंकी बताते हो,
कन्हैया खालिद की बेल कराते हो ।
पापी वहशी के गुड़गान के ग्रंथ लिख रहे हो,
गरीब दुखियौ के नाम पर ऐन जी ओ चला रहे हो ।
देश तुमको समझ चुका हे, काम तुम्हारा गंदा है,
मिडिया और कुछ नही, एअक काला धंधाहै ।
भुखे नंगौ की आवाज बनॉ, कमजोर की लाठी बनो,
सत्य के सिपाही बनो, देश के पहरेदार बनो,
और सुखी कलम को हरा कर दो,
और काले कागज को रंगो से भर दो ।

डा. योगेश शर्मा

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